Sunday, May 17, 2009

१६ मई २००९......



१६ मई २००९, हमारी लोकसभा चुनावके निर्णयों का अंतिम दौर खुल कर आने वाला था..उसी के उपलक्ष्य में कुछ लिखा गया...

लीजिये साहब, राष्ट्रिय अखाडे का अंतिम दिन भी आ ही पहुँचा! आज सारे विश्व की नज़रें गड़ी हैं इस भारत-भूमि पर..जाने इस लोकतंत्र के लोग सचमुच जाग गये हैं या सोये हुए ही हैं...देखा जाए तो एक तरह से जागो रे या लीड़ इंडिया या वोट फॉर इंडिया जैसे केम्पेंस ने लोगों को इतना जगा दिया की अमूमन देश के हर कोने में पचास प्रतिशत से ऊपर जनता अपना वोट देने ही नहीं गयी...(पाप का भागी क्यूँ बना जाये...शायद इस उद्देश्य से?)..तो जहाँ यु पी ए/एन डी ए/ब स पा/सी पी एम्/अपने अपने भाग्य के बारे में अटकले लगा रही है वहीं छोटी मोटी मछलियां भी बड़ा दाना चुगने की कोशिश में नज़र आ रही हैं!

आज दुष्यंत कुमारजी की एक रचना बड़ी याद आती है...पेश है: (मूल रचना लाल रंग में है, मेरा चबैना(मेरा लिखा कुछ जिसे आप सुबह के चबैने की तरह चाय के संग नोश फरमा सकते हैं!!), नीले में है ...आशा है आपको आनंद आएगा...)

फिर धीरे-धीरे यहाँ का मौसम बदलने लगा है,

वातावरण सो रहा था अब आँखें मलने लगा है

कमल नाथ जी पुराने मित्रों~नवीन पटनायक /दसरी राव आदि से मिलने में लगे हैं...पासवान जी की घर में ए सी में लगी आग के बारे में सोनिया जी ने फुनिया क्या लिया, पासवान जी को अब बी जे पी दिखती ही नहीं है!!...कांग्रेसियों को डी एम् के और अन्ना डी एम् के...दोनों ही साथ चाहिए...वाह रे दुनिया!! और अभी अभी खबर मिली है की उन्हें डी एम के नही चाहिए...बढ़िया है, अन्ना तो पहले ही बी जे पी की ओर रुख किये थे...तो भाई डी एम् के का क्या होगा??? हा हा हो गया न दिमाग गोलम गोल!! आइये, दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र की सबसे बड़ी लोकतांत्रिक प्रक्रिया में आपका स्वागत है!

पिछले सफ़र की न पूछो,टूटा हुआ एक रथ है,

जो रुक गया था कहीं पर, फिर साथ चलने लगा है

रथ वाले लोगों की हकीकत जानता है ज़माना भी...क्या करे लेकिन दूसरे वाहनों की लाइफ पर भी तो यक्ष प्रश्न लगे हुए हैं...इसी बात का फायदा ले रथ फिर गतिमान हुआ है इस बार...लेकिन इन बेचारों के लिए एक ही गीत याद आता है मुझे, बहुत देर से दर पे आँखें लगी थी,बड़ी देर कर दी हुजुर आते आते...काश की आप लोगों ने गुजरात को रोल मॉडल बना कर बाकि राज्यों को भी गुलज़ार किया होता...

हमको पता भी नही था, वो आग ठंडी पड़ी थी,

जिस आग पर आज पानी सहसा उबलने लगा है

जिन्हें हर कोई भिगो भिगो के जूते मारना पसंद करता है...आज उसी तमिलनाडु राज्य की महा महीम पर सारे इष्ट जनों की निगाहें हैं...मैडम कह चुकी हैं..पहले डेढ़ सौ से ऊपर नंबर लाओ, फिर ही न हम मेरिट देंगे आपको..अब बेचारे नमो(अपने नरेंद्र मोदीजी) सोच रहे होंगे की इस बायडी को कैसे संभाला जाये? गुजरात तो संभल गया लेकिन ये...

जो आदमी मर चुके थे,मौजूद हैं इस सभा में,

हर एक सच कल्पना से आगे निकलने लगा है

मुझे दो लोग बड़े अभिभूत करते हैं हमारी राजनीति में..एक तो हैं शिबू सोरेन और दूजे तेलंगाना वाले इनको पूरे पांच साल कोई नहीं पूछता लेकिन पांच साल की समाप्ति के साथ ही इनका सूर्योदय/भाग्योदय एक साथ हुआ जाता है!!...अभी चन्द्र बाबू का सारा अच्छा काम किया धरा रह जाएगा यदि तेलंगाना वालों का साथ नही मिला!

ये घोषणा हो चुकी है, मेला लगेगा यहाँ पर,

हर आदमी घर पहुँच कर, कपडे बदलने लगा है

मायावती जी ने तो कमाल ही कर दिया...जिस समाज..मनुवादी समाज के प्रति वो आग उगलती थी,उसी को रिझाने में उन्होंने कोई कसर नही छोड़ी!!उधर एन सी पी के पवार जी और संगमा जी खंडन मंडन में लगे हैं कि पवार जी को प्रधानमंत्री कैंडिडेट बनाया जाए या नहीं!! अरे ये गन्ने चूसने का काम है क्या?? वोही करना है तो बारामती भली!!

बातें बहुत हो रही हैं,मेरे-तुम्हारे विषय में,

जो रास्ते में खड़ा था पर्वत पिघलने लगा है

काश की आज बातें होती हमारी आपकी...इस देश की जनता की, आने वाले दिनों में हमारे बच्चों के भविष्य की...लेकिन खेद है,खेद है की ये सारी उठा-पठक फिर वही कुछ करेगी...देश की जनता के करोडों रुपयों का नुकसान...आनेवाले सालों में संसद उतना ही खाली दिखा करेगा जितना की गोविंदा की फिल्मों का थिएटर हॉल,फिर नलों में पानी नही आएगा..फिर घर से बाहर काम करने वाली स्त्रियों की सुरक्षा चीन्ह चीन्ह होगी और घरेलु शोषण में पत्निया पीसती नज़र आएँगी..आपको यकीन नही? मुझे तो है ..क्यूंकि ये सारे नेता और पार्टीयाँ एक ही गीत गा रहे दिखते हैं..लेफ्ट लेग आगे आगे, राईट लेग पीछे पीछे ..यारा ये क्या बात है...वो बंदा ही क्या है जो नाचे न गाये...आ हाथों में तू हाथ थाम ले...हो ओ .. डांस पे चांस मार ले!! ओ सोनिये...डांस पे चांस मार ले!

बस जी अब तो चांस ही की बात है!!

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