सितम्बर २०१४, नयी दिल्ली.
अपने नन्हें शिशु कदम बढाते हुए जब एक साथ तीन गुरुतर वरीष्ठों का स्नेहाशीष प्राप्त हो जाता है तो वो जीवन का सर्वश्रेष्ठ पुरस्कार अपने आप बन जाता है !!
१९ सितंबर २०१४ का दिन मेरे लिए अविस्मर्णीय बन गया है ! दिल्ली में इस रोज़ महान कथाकारा सुश्री चित्रा मुदगल जी के हाथों मुझे "कहानी लेखन में श्रेष्ठ सृजनात्मक योगदान हेतु " २०१४ का सरस्विता पुरस्कार प्राप्त हुआ !! साथ ही महान कवि श्री बाल स्वरुप राही और सुप्रसिद्ध व्यंगकार एवं वरीष्ठ कवयित्री डॉ सरोजिनी प्रीतम जी का आशिर्वाद भी !
जब खुशियों पर विश्वास करने को मन करता है !
आदरणीया चित्रा मुदगल जी के हाथों पुरस्कार प्राप्त करना अपने आप में बहुत बड़ा पुरस्कार था ....
कुछ तो असर 'उसकी' दुआओं का होता होगा 'मृगी' ...
आज भी कुछ हाथ 'माँ' की तरह दुलारते हैं मुझे !
~आदरणीया चित्रा मुदगल जी के हाथों सरस्विता पुरस्कार प्राप्त किया और साथ ही उनका लाड़,आशिर्वाद भी ! १९ सितम्बर, दिल्ली .
१९ सितंबर २०१४ का दिन मेरे लिए अविस्मर्णीय बन गया है ! दिल्ली में इस रोज़ महान कथाकारा सुश्री चित्रा मुदगल जी के हाथों मुझे "कहानी लेखन में श्रेष्ठ सृजनात्मक योगदान हेतु " २०१४ का सरस्विता पुरस्कार प्राप्त हुआ !! साथ ही महान कवि श्री बाल स्वरुप राही और सुप्रसिद्ध व्यंगकार एवं वरीष्ठ कवयित्री डॉ सरोजिनी प्रीतम जी का आशिर्वाद भी !
जब खुशियों पर विश्वास करने को मन करता है !
आदरणीया चित्रा मुदगल जी के हाथों पुरस्कार प्राप्त करना अपने आप में बहुत बड़ा पुरस्कार था ....
इस पुरस्कार को आदरणीया सरस्वती प्रसाद , महान राष्ट्रिय कवि की मानस
पुत्री के नाम पर उनके परिवार ने स्थापित किया है | यह पुरस्कार कहानी,
कविता एवं संस्मरण के क्षेत्र में श्रेष्ठ सृजनात्मक योगदान हेतु दिए जाते हैं |
जिनके प्रेम और सान्निध्य से शब्दों को उनकी पहचान मिल जाती थी,
ऐसी कलम थी सरस्वती प्रसाद "अम्मा जी " की !
१९ सितम्बर २०१४ को उनकी प्रथम पुण्यतिथि पर उनके परिवार ,
"प्रसाद कुटी" की ओर से उनकी किताब "एक थी तरु" का विमोचन किया
गया ! इसमें अमाजी द्वारा लिखी गयी कवितायेँ , कहानियाँ एवं लेख हैं और
साथ ही परिवार के हर सदस्य द्वारा कथ्य रूप में तर्पण भी !
जब से यह किताब हाथ में आयी है, उसे शब्द दर शब्द खुद में गुनने की
कोशिश में लगी हूँ !
पुस्तक के अंतिम कवर का एक चित्र आपको वो सब कह देगा जिसे मैं
पूर्णतया बताने में अक्षम हूँ !
हिन्द युग्म प्रकाशन को "एक थी तरु" जैसी दर्ज़ेदार पुस्तक का प्रकाशन करने के लिए पुनः बधाई !
रश्मि प्रभा दीदी जी एवं उनके समस्त परिवार को ऐसे अनूठे साहित्य समागम
पर दिल से बधाई और अम्मा जी को पुनः एक दफ़ा स्नेह पगा सलाम !!
सादर !
स्थापित कवयित्रियों से मुलाकात का सुयोग !! |
कुछ तो असर 'उसकी' दुआओं का होता होगा 'मृगी' ...
आज भी कुछ हाथ 'माँ' की तरह दुलारते हैं मुझे !
~आदरणीया चित्रा मुदगल जी के हाथों सरस्विता पुरस्कार प्राप्त किया और साथ ही उनका लाड़,आशिर्वाद भी ! १९ सितम्बर, दिल्ली .
प्रसाद कुटी द्वारा प्रदत्त सरस्विता पुरस्कार, हमारी प्यारी अम्मा - सरस्वती प्रसाद की सदैव सुन्दर यादों को संचयित करता रहेगा और उन्ही की तरह सभी लेखकों को प्रोत्साहित करता रहेगा, यह विश्वास उद्दाम है !!
आप सभी के स्नेह और आशीर्वाद की पुनः अभिलाषी हूँ !!
सादर !
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