Sunday, October 5, 2014

स्मृतियों के सागर



इन स्मृतियों से
प्यार हुआ जाता है
जीना जिनके बिन हो मुश्किल
उन्ही पे दिल कुर्बान हुआ जाता है!
उन चाहतों में बिंध
सजाई थी एक डोली 
जीवन उसी मिलन पर 
निसार हुआ जाता है!

स्मृतियों के आगोश में
हाँ, तड़पन बहुत है
स्पंदित फिर फिर किन्तु क्यूँ
उनमे ही ह्रदय हुआ जाता है!
वो खुशबु सा समाया रहा
बदन में मेरे
याद करूँ कहीं जो
ये बसंत बौराया जाता है!

स्मृति के सागर
इतने भी बुरे नही होते,
यादों के मंज़र कभी,
धुंधले नही होते!
चाहना न चाहना
कहाँ हाथ में होता है
यही सोच के हर दफा
स्मृतियों से ही प्यार हुआ जाता है!

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