Tuesday, September 27, 2011

मुझमें तू बसा है.....

मुझमें   तू  बसा  है,
ये मैं जानती थी .......
आज मान गयी हूँ !
अब न कोई तड़पन का किस्सा होगा,
न ही किसी नयी बिछडन  का मातम होगा
इश्वर मेरे, 
मेरे अधूरेपन में भी
तू संग हमेशा,
मेरे, पूरा होगा!  

(स्वाति ~ मृगी )
२७ जून २०११

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