Monday, December 26, 2011

समाधिस्थ!

मौन


प्रेम

मौन

रुदन

मौन

क्रंदन

मौन

निंदन

मौन

ज़िन्दगी

मौन

ही बस

इस दिल की तडपन

यही बेहतर है

कि, मैं अब मौन ही रहूँ--

समाधिस्थ!



~~स्वाति मृगी~~

४ नवम्बर २०११



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