Sunday, April 20, 2008

और तुम आओ!! (कुछ हल्का-फुल्का....)

ऐसा नहीं हो सकता क्या, कि,
दिन के उजालों में, शहर सारा सोता हो,
और तुम आओ!

किसी कुत्ते के बच्चे की पूँछ हिले,
और तुम आओ!

आईसक्रीम का आखिरी स्कूप हो हाथ में
और तुम आओ!

मेरे वो पुराने वाले दिनों की दस्तक हो,
और तुम आओ!

मेरे जन्मदिन का पहला लम्हा हो,
और तुम आओ!

मेरे हाथों में नौ-नौ चूडियाँ हो,
और तुम आओ!

रात अभी आधी हो,
और तुम आओ!

मेरी साँसें मुझसे खफा-खफा हो,
और तुम आओ!

क्या जानू कि क्या कुछ होना हो,
जब तुम आओ!!

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