तिमिर का सन्नाटा कह रहा था
जो बरसेगा वो बादल कैसा होगा?
मेरे अरमानों में बस गया
एक मासूम सा चेहरा
छू लूँ गर उसे तो
वो उन्माद कैसा होगा?
इक चिडिया ने कल कहा था मुझसे..
ना उदास रहा करो ऐसे,
लो, मेरे पंख ले लो तुम!
अब सोचती हूँ उसके शहर का
आसमान कैसा होगा?
डूबते अँधियारे से अक्सर्,
ध्रूवतारा पूछा करता है हर रोज़,
तेरे आँचल को तलाश है जिसकी
वो उजियारे वाल सूरज़, जाने कैसा होगा?
तिमिर का सन्नाटा कह रहा था
जो बरसेगा इस बरस तो,
वो बादल कैसा होगा?
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