Saturday, October 6, 2007

अखरोट के फूलों का गीत!




अखरोट के फूलों का गीत!
दिल चाहता है

तुम्हारे सुंदर गात सुनूँ

नेह में डूबे हुये


भावों में खो जाऊँ


अंत समय तक बस..


इन्ही बोलो को बोलूँ


इन्ही बाँहों में झूलूँ




वो अखरोट के फूल,


जिनके तले बैठ तुमने


लिखे मुझे गीत सलोने


जब अंत समय आये....


प्रिय,


दे सको तो..


वो अखरोट के फूल,


धर देना मेरे मुख में...


तुलसी पानी सा


मुझे पुण्य ज्यूँ मिल जाये!!
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अखरोट के फूल- खिलने के बाद !


वो अखरोट के फूल


जो सूखाये थे,


मुझे देने को!


अपने हाथों से..


तुमने एक रोज़ जो तोडे थे..


उन फूलों को मालूम क्या होगा?


ऐसी भी रुत आयेगी...


सिली हवाओं में वह


बर्फ से जम जायेंगे!


यादों के दरख्तों पे..


यादों के दरख्तों पे..


फिर अगले बरस


कुछ फूल खिलेंगे...


शायद


अखरोट पे लेकिन


फिर वैसे,


फूल नहीं आयेंगे!!


अखरोट पे लेकिन फिर वैसे,फूल नहीं आयेंगे!!

1 comment:

डाॅ रामजी गिरि said...

अंत समय तक बस..



इन्ही बोलो को बोलूँ



इन्ही बाँहों में झूलूँ

BAHUT HI KHOOBSURAT BHAV HAI IN PANKTIYON ME..ATI SUNDAR.