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परछाई.....
जो सिर्फ और सिर्फ मेरी है!
बचपन से जवानी तक
साथ दिया जिसने
हर आँसू हर खार में
काँधा दिया जिसने...
वो परछाई ही तो है!!
साये में कभी धूप
मिलती नहीं है
सच्चाई को झूठ की झालर,
फबती नहीं है
किसी रोज़ कोई हँस के बोला मगर,
हर दिन तो वैसी खुशी
मिलती नहीं है!!
कोई ख्वाब कभी
शायद
सच भी हो जाये
परछाई
मगर
कभी झूठ
होती नहीं है...
बिरहा में
जलसे में,
मन की ताल पे
औ
दिल के सूर पे
जो संग डोलती है...
वो परछाई ही तो है..
जन्म से मौत तलक
जो बिना कुछ माँगे
साथ देती है,
वो परछाई ही तो है..
इस जनम के पुण्यों को
अपने संग जो..
अगले जनम तक लेकर आती है
वो हमारे कर्मों की
परछाई ही तो है!!
ईसीलिये,
परछाई,
प्रिय
है,
वंदनीय
है!!
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