Labels
अपनी बात
आशिर्वाद और पुरस्कार
कविता
किस्से-कहानियाँ
नए ज़माने की बातें
पुराने खतों की बातें
मन कहे छोटी छोटी बातें
मेरी पसंद
Friday, October 5, 2007
उन्माद...
शीतल सी चाँदनी भी
उन्माद भरा ये मन भी
गाती हूँ गीत तेरे ही
ले आज की रात भी
हर्ष इस उर में भी
हर्षित मेरा तन भी
स्वरों ने तेरे बहला दिया
ले आज की रात भी
मृगी सी कातरता-
इस बेला भी
तेरे स्पर्ष से सहमती
ले आज की रात भी!!
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment