Wednesday, October 10, 2007

भाई नरेन् के लिए आज कुछ लिखा..


भाई नरेन् ने लिखा था...


जा कर कहीं खो जाऊं मैं ,

नींद आये और सो जाऊं मैं

दुनिया मुझे ढूंढे

मगर मेरा निशाँ कोई ना हो

तो हमने उनके लिए आज कुछ लिखा..

अपना निशान नहीं हॉं ऐसी भी मंशा रखते हैं,

देख उपरवाले तेरी कायनात में ऐसे भी बन्दे बसते हैं!!

लोग कहते हैं जिन्हें काफिर,

हमें तो वो बड़े सयाने लगते हैं

कदम दर कदम दुनिया के लिए

अपनी जान निसार कर जाते हैं!!

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