Friday, October 5, 2007

वो सुबह कभी तो आयेगी.....



वो सुबह कभी तो आयेगी

मेरे मन के आकाश पर सिंदुरी सहर होगी

हर रंग मुझसे होकर गुजरेगा

हर रंग को भी तो,

शायद...

मेरी??

जरुरत होगी!!

मुझ तक छूते

कुछ जीवन होंगे या

कुछ रिश्तों के --घनेरे जंगल भी होंगे

हर एक उमर झाँकेगी जिसमेंसे

मेरे बौराये जीवन की

सुनो,

सच्ची वो तस्वीर होगी!

5 comments:

..मस्तो... said...
This comment has been removed by the author.
..मस्तो... said...

वो सुबह कभी तो आयेगी..
ख़ैर ये मिस्रा अपने में बहुत ख़ूबसूरत है...

कुछ रिश्तों के --घनेरे जंगल भी होंगे
हर एक उमर झाँकेगी जिसमेंसे

मेरे बौराये जीवन की
सुनो,
सच्ची वो तस्वीर होगी!


बहुत ख़ूबसूरती से लिखा...

एसा मुझे लगता है.
love..Masto...

Dr Swati Pande Nalawade said...

Dear gaurav,
Thanks for your comments.
Abhar sahit,
Swati.

कुश said...

वो सुबह कभी तो आयेगी


bahut khoobsurat rachna...

Unknown said...

BAHOOT KHOOB