वो सुबह कभी तो आयेगी
मेरे मन के आकाश पर सिंदुरी सहर होगी
हर रंग मुझसे होकर गुजरेगा
हर रंग को भी तो,
शायद...
मेरी??
जरुरत होगी!!
मुझ तक छूते
कुछ जीवन होंगे या
कुछ रिश्तों के --घनेरे जंगल भी होंगे
हर एक उमर झाँकेगी जिसमेंसे
मेरे बौराये जीवन की
सुनो,
सच्ची वो तस्वीर होगी!
5 comments:
वो सुबह कभी तो आयेगी..
ख़ैर ये मिस्रा अपने में बहुत ख़ूबसूरत है...
कुछ रिश्तों के --घनेरे जंगल भी होंगे
हर एक उमर झाँकेगी जिसमेंसे
मेरे बौराये जीवन की
सुनो,
सच्ची वो तस्वीर होगी!
बहुत ख़ूबसूरती से लिखा...
एसा मुझे लगता है.
love..Masto...
Dear gaurav,
Thanks for your comments.
Abhar sahit,
Swati.
वो सुबह कभी तो आयेगी
bahut khoobsurat rachna...
BAHOOT KHOOB
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