कल रात तलक ,
छायाचित्र : गूगल से साभार
'नव्या' पर मार्च २०१२ में प्रकाशित :
http://www.nawya.in/hindi-sahitya/item/%E0%A4%B8%E0%A5%87%E0%A4%AE%E0%A4%B2-%E0%A4%95%E0%A5%87-%E0%A4%AA%E0%A5%87%E0%A4%A1%E0%A4%BC-%E0%A4%AA%E0%A4%B0-%E0%A4%85%E0%A4%9F%E0%A4%95%E0%A5%80-%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%A4.html
सियाह से आसमान पे
एक नाम लिखा रह गया था
दिल के आईने में किसी का प्यार,
रुसवाइयों के मंजर दिखा गया था!
लेकिन आज की शब्
बड़ी खुबसूरत है...
तुमने तो ,
सोलह कलाओं से सज्ज चाँद की तरह,
कह दिया--
सब कुछ!!
मूँद कर अपनी पलकों को...
मैं, लेकिन,
अब क्या कहूँ आगे?
सुनो,
आज--
ये जो रात है,
ये पिछले आँगन में
सेमल के पेड़ पर अटक गयी है
और
ये मदमस्त
चाँद है की
देख रहा है--
टुकुर टुकुर,
मेरी ही ओर
और,
मैंने,
बहुत सालों बाद,
फिर एक बार
खिड़की के पल्ले,
खोल दिए हैं!
सुनो,
आज--
ये जो रात है ना,
सेमल के पेड़ पर अटक गयी है!!
छायाचित्र : गूगल से साभार
'नव्या' पर मार्च २०१२ में प्रकाशित :
http://www.nawya.in/hindi-sahitya/item/%E0%A4%B8%E0%A5%87%E0%A4%AE%E0%A4%B2-%E0%A4%95%E0%A5%87-%E0%A4%AA%E0%A5%87%E0%A4%A1%E0%A4%BC-%E0%A4%AA%E0%A4%B0-%E0%A4%85%E0%A4%9F%E0%A4%95%E0%A5%80-%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%A4.html
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सुनो,
आज--
ये जो रात है ना,
सेमल के पेड़ पर अटक गयी है
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