दिल चाहता है , आज,
तुम्हारे हाथों को थाम
नर्मदा मैय्या की
परिकम्मा कर आऊँ मैं...
तुम्हारे हाथों को थाम
नर्मदा मैय्या की
परिकम्मा कर आऊँ मैं...
दिल चाहता है आज,
तुमपे --
अपना सब कुछ लूटा दूँ मैं!
मैंने,
मेरा मैं तुझे दिया--
ले आज मैंने,
अपना सब कुछ उतार फेंका
और इस रूह का दरवाज़ा खोल
तुझे भीतर भर लिया!
मेरा मैं तुझे दिया--
ले आज मैंने,
अपना सब कुछ उतार फेंका
और इस रूह का दरवाज़ा खोल
तुझे भीतर भर लिया!
दिल चाहता है,आज--
चन्दन तिलक से सजा कर,
तुझे फिर से
अपना
खुदा बना लूँ मैं!
चन्दन तिलक से सजा कर,
तुझे फिर से
अपना
खुदा बना लूँ मैं!
नव्या में प्रकाशित येही कविता :
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